शासन का बना के रख दिया मजाक,बरपाली दो लाख रिकवरी का था आदेश, पंचायत चुनाव लड़ने के लिए नहीं मिल रहा था अदेय प्रमाण पत्र। पंचायत में दो लाख का चेक जमा कर ले लिया एन ओ सी, नामांकन फॉर्म स्वीकृत हो चुनाव चिन्ह मिलने के बाद ले लिया चेक वापस। शासन के साथ धोखाधड़ी।

मामला बरपाली पंचायत का है जहां पूर्व सरपंच गोविंद नारायण कंवर के कार्यकाल में बरपाली बस स्टैंड से हंसराम यादव के घर तक नाली निर्माण का कार्य के लिए डी एम एफ मद से 18 लाख रुपये स्वीकृत हुआ था। जिसमें से दो बार में चार लाख रुपये तत्कालीन सरपंच गोविंद नारायण द्वारा अग्रिम राशि आहरित की गई थी, किन्तु आहरण के बाद किसी भी तरह से निर्माण कार्य नहीं कराया गया और ना ही आहरित राशि शासन को वापस किया गया। जिसमें शासन द्वारा धारा 92 की कार्यवाही करते हुए रिकवरी आदेश जारी किया गया था जो कि तत्कालीन सरपंच गोविंद नारायण के ऊपर दो लाख का और तत्कालीन सचिव वीरेंद्र किरण के ऊपर दो लाख का रिकवरी आदेश दिया गया था। जिस पर तत्कालीन सचिव वीरेंद्र किरण द्वारा दो लाख रुपये शासन के खाते में जमा कर दिया गया लेकिन तत्कालीन सरपंच गोविंद नारायण द्वारा पैसा जमा नहीं किया गया।
नामांकन फॉर्म भरने के लिए दिया चेक फिर ले लिया वापस
वर्तमान में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में गोविंद नारायण द्वारा अपनी पत्नी को सरपंच पद पर चुनाव लड़ाने के लिए पंचायत से अदेय प्रमाण पत्र लेना था। जिसके लिए गोविंद नारायण द्वारा शासन को गुमराह करते हुए मुख्य कार्यपालन अधिकारी जनपद पंचायत करतला के नाम पर दो लाख रुपए का चेक बरपाली पंचायत में जमा कर अदेय प्रमाण पत्र ले लिया गया। गोविंद नारायण की पत्नी का नामांकन फॉर्म स्वीकृत होने और चुनाव चिन्ह मिलने के बाद गोविंद नारायण द्वारा पंचायत में जमा किया गया दो लाख का चेक वापस ले लिया गया।
शासन के साथ कर रहा खिलवाड़
गोविंद नारायण द्वारा जिस प्रकार से शासन को गुमराह करते हुए चेक देकर अदेय प्रमाण पत्र लिया गया जबकि जिस बंधन बैंक के खाते का चेक दिया गया था उस खाते में पर्याप्त राशि ही नहीं थी और फिर चुनाव चिन्ह मिलने के बाद पंचायत से चेक वापस ले लिया गया। इससे साफ प्रतीत होता है कि उसे शासन प्रशासन का कोई भय नहीं है उसके द्वारा शासन के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है।
अधिकारियों की भूमिका संदेहास्पद
अब यहाँ पर सोचने वाली बात यह है कि गोविंद नारायण द्वारा जो चेक मुख्य कार्यपालन अधिकारी जनपद पंचायत करतला के नाम पर दिया गया था उस खाते में पैसा नहीं है यह बात जनपद सी ई ओ की जानकारी में होते हुए भी चेक स्वीकृत किया गया। उस चेक को भुगतान हेतु जनपद के खाते में जमा करना था किंतु उस चेक को चुनाव चिन्ह मिलने तक रोक कर रखा गया और उसके बाद चेक गोविंद नारायण को वापस कर दिया गया। इतना लंबा चौड़ा षडयंत्र बिना अधिकारियों की मिली भगत के संभव नहीं हो सकता। अब देखना यह है इस मामले में जुड़े षड्यंत्रकारियों पर प्रशासन क्या कार्यवाही करती है।
उक्त मामले से जुड़े सारे प्रमाण आधार स्तंभ के पास सुरक्षित हैं।