आज है वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप की 486 वीं जयंती, बेखौफ जंग जीतने के लिए जाने जाते थे राणा

आज बिलाड़ा में वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप की 486 वीं जयंती धूमधाम से मनाई जा रही है। वीर महाराणा प्रताप के शौर्य की गाथा इतिहास के पन्नों पर स्वर्ण अक्षरों में लिखा गया है। तो आइए उनके जयंती पर उनके इतिहास के बारे में जानते हैं।
वीर महाराणा प्रताप भारत के महान शुरवीर सपूतों में गिने जाते हैं। वीरों के वीर महाराणा प्रताप सिंह सिसोदिया जिनके शौर्य, बलिदान, और त्याग की गाथाएं आज भी देश में चारों तरफ गूंजती है। महाराणा प्रताप का जन्म 9 मई 1540 ई. को राजपूत राजपरिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम उदय सिंह था जो मेवाड़ वंश के शासक थे।
भारत के वीर सपूत महाराणा प्रताप ने मुगलों के अतिक्रमणों के खिलाफ कई युद्ध किए थे। अकबर को तीन बार बुरी तरह युद्ध में हराया था। कहा जाता है कि महाराणा प्रताप ने जंगलों में जमीन पर सोकर रात गुजारी और घास की रोटी खाई लेकिन अकबर के सामने कभी हार नहीं मानी। आपको बता दें कि महाराणा प्रताप के पास 104 किलों का तलवार था जिससे अपने दुश्मनों को एक ही झटके में घोड़े सहित दो टुकड़े कर देते थे।