मृत्युशैया पर भी कर्ण को नहीं डिगा सके भगवान, अंतिम समय में दानवीर ने दिया दान, जानें मरते-मरते श्रीकृष्ण से क्या कहा

महाभारत में कर्ण एक ऐसा पात्र है, जो पराक्रमी योद्ध होने के साथ ही साथ बड़ा दानी भी था. इस वजह से कर्ण को दानवीर कर्ण के नाम से भी संबोधित किया जाता है. उसके बारे में कहा जाता है कि उसके दरवाजे पर जो भी जिस भी मनोकामना से जाता था, वह कभी खाली हाथ नहीं लौटता था. कर्ण के दान से जुड़ी कई कथाएं हैं. कुरुक्षेत्र के युद्ध में जब अर्जुन के हाथों कर्ण मारा जाता है, तो उस समय मृत्यु शय्या पर होने के बावजूद कर्ण ने भगवान श्रीकृष्ण को दान दिया. उसकी दान वीरता से प्रसन्न होकर भगवान श्रीकृष्ण ने उसे 3 वरदान भी दिए. आइए जानते हैं महाभारत के उस प्रसंग के बारे में.
कर्ण सबसे बड़ा दानवीर कैसे?
कुरुक्षेत्र के मैदान में कर्ण अपनी मृत्यु की प्रतीक्षा कर रहा था. अर्जुन के मारे गए दिव्यास्त्र से घायल होकर वह जमीन पर पड़ा था. उस दौरान भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन से कहा कि कर्ण को हमेशा उसकी दान वीरता के लिए संसार याद करेगा. यह बात अर्जुन को अच्छी नहीं लगी. अर्जुन ने भगवान श्रीकृष्ण से कहा कि कर्ण सबसे बड़ा दानवीर कैसे हो सकता है?
ब्राह्मण रूप में परीक्षा लेने कर्ण के पास पहुंचे भगवान
भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन के प्रश्न का आशय समझ गए और उन्होंने तुरंत ही कर्ण की परीक्षा लेने की सोची. भगवान श्रीकृष्ण ने एक ब्राह्मण का रुप धारण किया और मृत्यु शय्या पर पड़े कर्ण के पास पहुंच गए. उन्होंने कर्ण का अभिवादन किया. इस पर कर्ण ने भी जवाब दिया और ब्राह्मण देव से आने का कारण पूछा.
इस पर भगवान श्रीकृष्ण ने कर्ण से कहा कि वे आपसे कुछ दान लेने के उद्देश्य से आए हैं, लेकिन आपकी स्थिति देखकर ऐसा करना उचित नहीं लगता है. आप ऐसी हालत में क्या ही दान कर सकेंगे? अब तो आपका अंतिम समय नजदीक है.
मरते-मरते कर्ण ने किया दान
भगवान श्रीकृष्ण के बातों को सुनकर कर्ण ने अपने पास पड़े एक पत्थर को उठाया. उसने पत्थर से अपने सोने के दांत तोड़े और मरते-मरते सोने के दांत ब्राह्मण देव को दान किया. कर्ण की इस दान वीरता से भगवान श्रीकृष्ण अत्यंत प्रसन्न हुए और वे अपने मूल स्वरूप में आ गए.
भगवान श्रीकृष्ण ने कर्ण को दिए 3 वरदान
भगवान श्रीकृष्ण को देखकर कर्ण खुश हुआ. तब भगवान ने उससे कोई भी 3 वरदान मांगने को कहा. इस पर कर्ण ने कहा कि आप मुझे 3 वरदान दें.
1. उसका अंतिम संस्कार वह व्यक्ति करे, जो पाप मुक्त हो.
2. उसका अगला जन्म वहीं पर हो, जहां भगवान श्रीकृष्ण का राज हो.
3. आप अगले जन्म में उसके वर्ग के लोगों का कल्याण करें.
इस पर भगवान श्रीकृष्ण ने उसे तीनों वरदान दे दिए. भगवान श्रीकृष्ण ने ही कर्ण का अंतिम संस्कार किया था.