पर्यावरण अधिकारी पर लगा संगीन आरोप: जनसुनवाई में उद्योग से सांठगांठ।

मिडिया से मुखातिब होने पर पर्यावरण अधिकारी फंसते नजर आये ।
———
दिलीप वर्मा _ जिला संवाददाता
तिल्दा-नेवरा। ग्राम सांकरा में आयोजित पर्यावरण जनसुनवाई में भारी विरोध के बावजूद जनप्रतिक्रिया को मिली जुली करार देने पर पर्यावरण अधिकारी प्रकाश कुमार रबडे पर उद्योग पति से सांठगांठ करने का बड़ा आरोप लगा है । गौरतलब हो कि रायपुर जिला तिल्दा जनपद क्षेत्र के ग्राम सांकरा में प्रस्तावित मेसर्स नाकोडा इस्पात एवं पांवर उद्योग को लेकर जनसुनवाई आयोजित किया गया था । इस दौरान भारी तादाद में जनसुनवाई में शरीक हुए ग्रामीणों ने उद्योग के खिलाफत में नारेबाजी करते हुए एक स्वर में जनसुनवाई को निरस्त करने की मांग किया , क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों के अलावा ग्रामीणों ने जनसुनवाई का पुरजोर विरोध किया , यहां तक कि स्थानीय ग्रामीणों ने कहा कि अगर इतने विरोध के बावजूद पर्यावरण विभाग प्रस्तावित उद्योग को सहमति देती है ,तो फिर उग्र जन आंदोलन किया जावेगा । ग्रामीणों का विरोधी स्वर इस कदर मुखर हुआ कि जनसुनवाई की पीठासीन अधिकारियों को सुरक्षा घेरे में गंतव्य को रवाना किया गया । लेकिन यहां पर पीठासीन अधिकारियों में पर्यावरण अधिकारी प्रकाश कुमार रबडे ने पत्रकारों से मुखातिब होकर कुछ ऐसा कहा कि वहां शंका के घेरे में आ गया । पत्रकारों के सवालों के जवाब में अधिकारी ने कहा कि पर्यावरण स्वीकृती जनसुनवाई में मिली जुली असर रहा ,उस पर ग्रामीणों ने तंज कसते हुए कहा कि संबंधित अधिकारी का गुलाबी नोट के रंग में जवाब भी रंगीन हो गया । कहा जा रहा है कि संबंधित अधिकारी के अनुसार जनसुनवाई मिली जुली था जबकि वास्तविकता कुछ और बंया कर रही है , जनसुनवाई में ऐसा कोई भी ब्यक्ति सामने नहीं आया जो उद्योग लगाने के पक्ष में समर्थन दिया हो ,जिसका विडियो रिकॉर्डिंग से पुष्टि किया जा सकता है , हालांकि कुछ तथाकथित नेताओं के माध्यम से कुछ सहमति पत्र दिया गया हो ,इसका अभिप्राय यह नहीं हो सकता कि मिली जुली असर माना जावें ,वहीं पर अधिकारी का यह भी जवाब रहा कि ग्रामीणों द्वारा दिये गये परिपत्र का अध्ययन नहीं किया गया है ,तो फिर सवाल यह उठता है कि बिना अध्ययन के वे मिली जुली असर जैसे जवाब कैसे दे सकते हैं ? इससे यह जाहिर होता है कि पूर्व नियोजित योजना के अनुसार जनसुनवाई के सप्ताह भर पहले ग्राम सरोरा , परसदा, टंडवा , जोता जैसे अन्य गांव में घुम घुमाकर नियम विरुद्ध जो सहमति पत्र पैसों के दम पर भराया गया है उस योजना मे संबंधित अधिकारी अवगत थे इससे इंकार किया नहीं जा सकता , आरोप है कि संबंधित अधिकारी ने जनसुनवाई के एक दिन पूर्व नियम विरुद्ध जनसुनवाई के पूर्व दिवस में भरे गए सहमति पत्र का टेबल में अवलोकन कर लिया था ,तभी तो उन्होंने बेहिचक अजीबोगरीब जवाब मिडिया को दिया जिससे वह फंसते नजर आ रहे हैं ।