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09/06/2025

घरघोड़ा में त्रीस्तरीय पंचायत चुनाव का मुकबला हुआ रोमांचक ।।

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कांग्रेस प्रत्याशी की पकड़ मजबूत सोमदेव मिश्रा की साफ छवि दूसरे प्रत्याशियो की बनी सर दर्द

घरघोड़ा में त्रिकोणीय संघर्ष की आहट, कांग्रेस ने पकड़ी रफ्तारअध्यक्ष पद के कांग्रेस प्रत्याशी सोमदेव मिश्रा की ईमानदार छवि बनी ताकतभाजपा-निर्दलीय का समीकरण बिगड़ रहा

 

रायगढ़/ घरघोड़ा नगर पंचायत चुनाव में समीकरण तेजी से बदल रहे हैं। कांग्रेस प्रत्याशी सोमदेव मिश्रा की स्थिति लगातार मजबूत होती जा रही है। शुरुआती सुस्ती के बाद अब कांग्रेस के प्रचार ने जोर पकड़ लिया है, जिससे मुकाबला त्रिकोणीय होता नजर आ रहा है। भाजपा और निर्दलीय प्रत्याशी अब तक एक-दूसरे को मुख्य प्रतिद्वंद्वी मानकर चुनावी रणनीति बना रहे थे, लेकिन कांग्रेस के उभरते प्रभाव ने इस चुनावी गणित को नया मोड़ दे दिया है।

 

*सोमदेव की “ईमानदार” छवि बनी चुनावी ताकत*

सोमदेव मिश्रा की छवि बेदाग और ईमानदार नेता की रही है, जिसका सीधा असर चुनावी माहौल पर दिख रहा है। वे सामान्य और गरीब तबके के साथ ही एक वर्ग विशेष में गहरी पैठ रखते हैं। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि यदि कांग्रेस ने इसी गति से अपना प्रचार अभियान जारी रखा, तो मुकाबले में बढ़त बना सकती है।

 

*विरोधी खेमे में हलचल और बढ़ती चुनौती…*

कांग्रेस की बढ़ती रफ्तार से भाजपा और निर्दलीय प्रत्याशियों के लिए चुनौती बढ़ गई है। अब तक दोनों ही दल आपसी संघर्ष को प्राथमिकता दे रहे थे, लेकिन कांग्रेस के बढ़ते प्रभाव से उन्हें अब अपनी रणनीति पर पुनर्विचार करना पड़ रहा है। विरोधी खेमों में इस बात की चर्चा तेज हो गई है कि यदि कांग्रेस ने अपनी पकड़ और मजबूत की, तो चुनावी समीकरण पूरी तरह बदल सकता है।

 

*चुनावी गणित ने ली नई करवट…*

सोमदेव मिश्रा की सहज, सरल और ईमानदार छवि उन्हें शहरी मतदाताओं के बीच लोकप्रिय बना रही है। खासतौर पर शिक्षित वर्ग में उनकी मजबूत स्वीकार्यता देखने को मिल रही है। कांग्रेस के कार्यकर्ता भी अब पूरे जोश के साथ प्रचार में जुट गए हैं। यदि आने वाले दिनों में कांग्रेस अपनी रणनीति को और आक्रामक करती है, तो यह मुकाबला किसी भी ओर करवट ले सकता है।

 

*कांग्रेस की रफ्तार ने बदला समीकरण, विरोधी खेमा सतर्क*

नगर पंचायत चुनाव का रोमांच बढ़ता जा रहा है। कांग्रेस की एंट्री ने इसे त्रिकोणीय मुकाबले में बदल दिया है। यदि प्रचार अभियान ने और गति पकड़ी, तो कांग्रेस आगे निकल सकती है। अब सवाल यह है कि भाजपा और निर्दलीय प्रत्याशी इस नए समीकरण से कैसे निपटेंगे? चुनावी मैदान में उठते-बैठते समीकरणों के बीच, अब अंतिम जीत किसकी होगी, यह देखना दिलचस्प होगा।


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